'आईरा' के प्रदेश अध्यक्ष चाँद फरीदी ने वंदना मिश्रा मेयर प्रत्याशी को समर्थन का किया एलान



( पहली बार लखनऊ नगर निगम को मिलेगी दूसरी महिला मेयर )

( 1700 करोड़ के बड़े बजट वाली निगम के मेयर पद पर 27 साल से BJP का कब्ज़ा )

लखनऊ :NKB NEWS :- लखनऊ नगर निगम अपना 20वां मेयर चुनने जा रहा है! पिछले 62 साल के इतिहास में पहली बार होगा जब लखनऊ नगर निगम में लगातार 2 बार मेयर की कमान महिला के हाथ में होगी! इससे पहले साल 2017 में पहली बार संयुक्ता भाटिया मेयर चुनी गईं थीं! उनसे पहले लखनऊ में कभी कोई महिला मेयर नहीं रही है!

यूपी निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा हैं! ऐसे में सभी राजनीतिक निकाय चुनाव में पूरे जोर शोर से लगे हैं! उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सीट सबसे हॉट मानी जाती है! यहां पर पहले चरण में वोटिंग होनी है! यहां से सपा ने वंदना मिश्रा पर अपना भरोसा जताया है!

NKB NEWS औऱ 'आल इंडियन रिपोर्ट्स एसोसिएशन' (आईरा) उत्तर प्रदेश की टीम मेयर पद के लिए वंदना मिश्रा को समर्थन करता है! नगर निकाय चुनाव में लखनऊ के मेयर पद के लिए वंदना मिश्रा का समर्थन कई पत्रकार और संगठनों के द्वारा निर्णय लिया है! वंदना मिश्रा न सिर्फ निष्ठावान पत्रकार रही हैं बल्कि एक लंबे समय से विभिन्न जनोन्मुखी कार्यों के प्रति समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता रही हैं! वह लखनऊ मेयर पद के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार है!

वंदना मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं! वह पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबिर्टीज यूपी की अध्यक्ष हैं! वह लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर रमेश दीक्षित की पत्नी हैं! रमेश लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं! प्रोफेसर रमेश दीक्षित तमाम साहित्यिक गतिविधियों में शामिल होते रहे हैं! समाज के विभिन्न वर्गों में भी उनकी पकड़ और पहुंच अच्छी बताई जाती है!

1700 करोड़ रुपए के बड़े बजट वाली लखनऊ नगर निगम के मेयर पद पर पिछले 27 साल से BJP का कब्जा रहा है! नगर निगम से पहले औऱ बाद की शुरुआत 1860 में हुई थी, जिसकी पहली बैठक छतर मंजिल में हुई थी, 1700 करोड़ के बड़े बजट वाली नगर निगम का गठन वैसे तो 1960 में हुआ! लेकिन 1860 में अंग्रेजी सरकार ने लोकल कमेटी बनाई थी! इसका काम वही था जो मौजूदा नगर निगम की तरफ से किया जाता है! 1860 में कमेटी का प्रथम चेयरमैन लखनऊ के डिप्टी कलेक्टर जी. कैम्पबेल स्क्वायर को बनाया था! 1861 में इसको म्यूनिसिपल कमेटी का नाम दिया गया! हालांकि आगे चलकर 1864 में फिर नाम बदला और म्यूनिसिपल कमेटी को म्यूनिसिपल बोर्ड कर दिया गया! बोर्ड के पहले चेयरमैन उस समय के डिप्टी कमिश्नर एचडब्लू हेस्टिंग्स बने! 1916 तक डिप्टी कमिश्नर ही चेयरमैन का पद ग्रहण करते रहे! 1916 में पहले भारतीय सैयद नबी उल्ला बने निकाय प्रमुख, उस समय भी एक्ट में कई बदलाव किये गए! हालांकि उसके बाद पंडित जगत नारायण, बाबू विश्वम्भरनाथ श्रीवास्तव, चौधरी खलीकुज्जमां, त्रिलोकनाथ भार्गव, नवल किशोर हलवासिया और पृथ्वीनाथ भार्गव इस पद पर कायम रहे! साल 1948 में यहां आज़ादी के बाद प्रशासन काल लागू कर दिया गया! 12 साल यानी साल 1960 तक इसको कायम रखा गया! दरअसल, साल 1959 में उप्र नगर पालिक एक्ट बना दिया गया था! उसी तहत साल 1960 में पहली बार लखनऊ में नगर प्रमुख बना! एक जुलाई 1973 से 24 अगस्त 1989 तक यूपी के अंदर कांग्रेस और जनता पार्टी दो दलों की सरकार रही! लेकिन दोनों ही दल के समय यहां प्रशासन काल लागू रहा! 28 अगस्त, 1989 को तीसरा जन निर्वाचित नगर महा पालिका का गठन किया गया था! 26 अगस्त 1989 को डॉक्टर दाऊजी गुप्ता नगर प्रमुख बने, जो आगे चलकर 21 नवंबर 2002 को नगर प्रमुख का पद बदलकर मेयर में तब्दील कर दिया गया!लखनऊ के मशहूर सर्जन उस समय डॉ. एससी राय पहले मेयर थे, जिन्हें जनता ने चुना, सतीश चंद्र राय पहले मेयर, जिन्हें जनता ने चुना

साल 1960 से 1995 तक नगर प्रमुख का चुनाव चुने हुए पार्षद करते थे! लेकिन 30 नवंबर 1995 को सतीश चंद्र राय पहले मेयर बने जिनका चुनाव पार्षदों की तरफ से नहीं किया गया बल्कि वह सीधे जनता के वोट से चुनकर आए! वह बीजेपी से जीते थे! हालांकि तब से लेकर अभी तक सभी चुनाव में मेयर का पद बीजेपी ने ही जीता है!

1994 तक 40 वार्ड और 80 पार्षद थे! हालांकि उस समय एक वार्ड में दो पार्षद हुआ करते थे! ऐसे में पार्षदों की संख्या 80 हुआ करती थी लेकिन जब पहली बार मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव हुआ तो वार्ड भी बढ़ा दिया गया! वार्ड की संख्या 110 कर दी गई साथ ही साथ एक वार्ड से दो पार्षद का नियम भी खत्म हो गया!

शहर के पहले नगर प्रमुख जनसंघ से बने थे! जनसंघ आगे चलकर बीजेपी बन गया था! ऐसे में शहर का पहला मेयर भी बीजेपी विचारधारा वाला रहा है! तब राज कुमार श्रीवास्तव 1 फरवरी 1960 पहले नगर प्रमुख बने थे! 62 साल के इत‍िहास में अब तक 19 नगर प्रमुख या मेयर न‍िर्वाच‍ित हो चुके हैं! इनमें से 5 जनसंघ, 8 कांग्रेस और 8 बीजेपी समर्थ‍ित प्रत्याशी रहे!

88 गांव के लोग पहली बार चुनेंगे शहर की सरकार -

लखनऊ नगर निगम का सालाना का बजट करीब 1700 करोड़ रुपए का है! इसमें करीब 530 करोड़ रुपए से सड़क बनवाई जाती हैं! पार्षद का कोटा एक साल का 1 करोड़ 15 लाख रुपए का होता है! उसके अलावा 18 करोड़ का एक कोटा होता है, जिसको नगर आयुक्त और मेयर मिलकर खर्च करते हैं! संयुक्ता भाटिया के कार्यकाल में यह कोटा उनके द्वारा खर्च किया जाता रहा! इस चुनाव में 88 गांव नगर निगम की सीमा में आ चुके हैं! अब 88 गांव के ग्रामीण अब शहरी वोटर बन चुके हैं!

यूपी में निकाय चुनाव चुनाव 2 चरणों में होंगे और इसके लिए मतदान 4 और 11 मई को होगा! इसके नतीजे 13 मई को आएंगे! इस दौरान 760 नगर निकायों का चुनाव होगा और 17 नगर निगम में मेयर का चुनाव होगा! इसके अलावा 544 नगर पंचायत का चुनाव होगा और 199 नगर पालिका परिषद का चुनाव होगा!!

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