जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, बिस्तर औऱ उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान घर से निकाल दिये जाते है!
पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत, प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते.?
बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच- खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है!
इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था!
आदमी इस पृथ्वी पर अकेला पाखंडी है! बाकी सब सहज सरल हैं! जैसा है वैसा ही है! ज्यूँ का त्यूँ ठहराया। सब वैसे ही का वैसा ठहरा है! पीपल पीपल है, नीम नीम है, आम आम है! सब वैसा का वैसा ठहरा है, सिर्फ आदमी डाँवाँडोल है! आदमी कुछ का कुछ हो जाता है! कुछ भीतर, बाहर कुछ! कुछ कहता, कुछ करता! कुछ हिसाब ही नहीं है! न मालूम कितनी पर्तें दर पर्तें हैं! न मालूम कितना पाखंड है! धीरे धीरे याद ही नहीं रह जाती कि मैं कौन हूँ, इतने नकाब लगा देता है, इतने मुखौटे ओढ़ लेता है, पहचान ही भूल जाती है कि मेरा असली चेहरा क्या है.?
और यह होगा ही, जब तक तुम जीवन के इस परम नियम को न समझ लोगे! यह जिस्म तो किराये का घर है, एक दिन खाली करना पड़ेगा !
सांसे हो जाएँगी जब हमारी पूरी यहाँ, रूह को तन से अलविदा कहना पड़ेगा!
वक्त नही है तो बच जायेगा गोली से भी, समय आने पर ठोकर से मरना पड़ेगा!
मौत कोई रिश्वत लेती नही कभी, सारी दौलत को छोंड़ के जाना पड़ेगा!
ना डर यूँ धूल के ज़रा से एहसास से तू, एक दिन सबको मिट्टी में मिलना पड़ेगा! सब याद करे दुनिया से जाने के बाद, दूसरों के लिए भी थोडा जीना पड़ेगा !
मत कर गुरुर किसी भी बात का ए दोस्त! तेरा क्या है..? क्या साथ लेके जाना पड़ेगा ...!
इन हाथो से करोड़ो कमा ले भले तू यहाँ ... खाली हाथ आया खाली हाथ जाना पड़ेगा !
ना भर यूँ जेबें अपनी बेईमानी की दौलत से ... कफ़न को बगैर जेब के ही ओढ़ना पड़ेगा..!
यह ना सोच तेरे बगैर कुछ नहीं होगा यहाँ, रोज़ यहाँ किसी को 'आना' तो किसी को 'जाना' पड़ेगा!
इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो! इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता! ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है!! Copy!!
