लुआक्टा क्यो कर रहा आंदोलन.?








लखनऊ :NKB NEWS:- 'लखनऊ विश्वविद्यालय' प्रशासन द्वारा फैलाया जा रहा भ्रमजाल कि शिक्षक केवल अपने अवकाश के लिए ही लड रहा है एक सोची समझी गहरी साजिश है! वास्तविकता यह है कि लखनऊ विष्वविद्यालय को परिनियन मे दी गई व्यवस्था के अनुसार अवकाश के साथ सारे लाभ प्रदान किए गए लेकिन महाविद्यालय के साथियों ने अपने हक की बात की तुरंत छात्र हित का बहाना लेकर अवकाश से जोड़ दिया गया एवं अन्य हकों पर बात करने से भागने लगा!

लुआक्टा द्वारा अपनी विभिन्न मांगों में एक मुद्दा क्रीड़ा परिषद के पुनर्गठन का रखा गया है! आइए समझते है कैसे हमारा हक मारा जा रहा है और विश्वविद्यालय खेल में पिछड़ गया है यहां तक कि हमारे शहर में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन किया जा रहा है जिसके आयोजन की जिम्मेदारी इस A++ वाले विश्वविद्यालय को नहीं बल्कि बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय को दी गई है! आयोजन तो दूर की बात इस विश्वविद्यालय से केवल 2 खिलाड़ी ही इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए पात्र हैं, जो बड़े शर्म की बात है! इस पर भी विश्वविद्यालय विचार करना उचित नहीं समझता!

विश्वविद्यालय की क्रीड़ा नियमावली जो कैनिंग कॉलेज के समय में बनाई गई थी वही नियमावली आज भी लागू की जा रही है इसमें 1988 में  संशोधन के नाम पर केवल नाम में परिवर्तन किया गया बाकी इसकी संरचना और कार्यशैली में कोई परिवर्तन आज तक नहीं किया गया। Luacta की विश्वविद्यालय प्रशासन से लंबे समय से क्रीड़ा परिषद को प्रजातांत्रिक बनाए जाने की मांग चल रही है फिर भी आज तक विश्वविद्यालय द्वारा एकाधिकार रखा गया है l विश्वविद्यालय में कैनिंग कॉलेज के समय से स्थापित विभिन्न खेलों के क्लब आज भी चलाए जाते हैं जिसमें खेलों से दूर दूर तक वास्ता न रखने वाले विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को अध्यक्ष एवं सदस्य बनाया जाता है। ये अध्यक्ष, सचिव मानविकी. विज्ञान, वाणिज्य किसी से भी हो सकते हैं! महाविद्यालय के शारीरिक शिक्षा के अनुभवी शिक्षकों के हक को मारकर विश्व विद्यालय द्वारा अपना एकाधिकार बनाए रखने के प्रयास की Luacta निंदा करती है! विश्वविद्यालय का पूरा क्रीड़ा परिषद महाविद्यालय के पैसों पर निर्भर रहता है इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा किसी तरह की कोई ग्रांट अलग से नहीं दी जाती है! यहां कभी भी खिलाड़ियों को दिया जाने वाला DA बढ़ा दिया जाता है जिसका आर्थिक बोझ महाविद्यालय को सहन करना पड़ता है! सबसे बड़ा खेल खिलाड़ियों के साथ होता है जब उनको पूरा TA/ DA दिया नहीं जाता बल्कि उनके पैसों की आपस में बंदर बांट कर ली जाती है!

पूरे प्रदेश में शायद लखनऊ विश्वविद्यालय ही एक मात्र विश्वविद्यालय होगा जो राजधानी में होते हुए भी सबसे निम्न  स्तर  की खेल नीतियां अपनाता है-

# विश्वविद्यालय की एथलेटिक एसोसिएशन में ना कोई खेल विशेषज्ञ हैं और ना ही शारीरिक शिक्षा का कोई प्राध्यापक!

# यहाँ के क्रीड़ा पारिषद में महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई भी पदाधिकारी नहीं है! महाविद्यालयों से धनराशि ले कर महाविद्यालयों का प्रतिनिधित्व ही शून्य कर दिया गया ग़ज़ब का खेल है यहां!

# यहां अन्तर महाविद्यालय प्रतियोगिताओं का कोई प्रावधान नहीं है!

# प्रदेश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में जहां टीम का चयन अन्तर महाविद्यालय प्रतियोगिताओं के आधार पर होता है वही लखनऊ विश्वविद्यालय में आज भी केवल ट्रायल के आधार पर होता है!

# क्रीडा पारिषद द्वारा चयन ट्रायल के लिये आने वाले खिलाड़ियों से नामांकन के नाम पर 100-500 रुपये वसूले जाते हैं! चयन ट्रायल के लिए आने वाले खिलाड़ियों के ठहरने, आने 

-जाने , खाने इत्यादि की कोई व्यवस्था विश्वविद्यालय द्वारा नहीं की जाती है!

# अन्तर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में जाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी से बेडिंग शुल्क लिया जाता है जो महाविद्यालय को प्रतियोगिता के बाद वापस कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह शुल्क आयोजक विश्वविद्यालय द्वारा कासन मनी के रूप में लिया जाता है!

# खेलों पर व्यय का कोई लेखा जोखा महाविद्यालयों को नहीं दिया जाता!

# खिलाड़ियों के TA/DA के लिए दिए गए पैसे का शेष भी महाविद्यालयों को वापस नहीं किया जाता है!

# विश्वविद्यालय कभी भी अपने यहां क्षेत्रीय अंतर विश्वविद्यालय या अखिल भारतीय विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं के आयोजन पर भी विचार नहीं करता!

# विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी महाविद्यालय के, खिलाड़ियों पर खर्च होने वाला धन महाविद्यालय का परंतु क्रीड़ा पारिषद में महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व शून्य है!

महाविद्यालय के प्रशिक्षित शिक्षकों, छात्रों के हित को अनदेखा  करने के विरोध में लुआक्टा द्वारा विगत 20 मई से लगातार आंदोलन किया जा रहा हैं! यदि विश्वविद्यालय अभी भी महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्र/ छात्राओं का जायज हक नहीं देगा तो Luacta के नेतृत्व में शिक्षक   किसी भी हद तक जा सकते हैं!!

डॉ मनोज पांडेय 

अध्यक्ष 

डॉ अंशु केडिया 

महामंत्री

Popular posts from this blog

मख्दूम अब्दुल हक़ रुदौलवी का 608 वाँ उर्स ए मुबारक संपन्न

भारत की पहली मुस्लिम महिला विधायक बेगम ऐजाज़ रसूल

बर्फ़, कंडोम, आलू भुजिया के साथ अंडरवियर का हुआ आर्डर