समाज एवं राष्ट्र की मार्गदर्शक व संरक्षक है पत्रकारिता - चाँद फरीदी
( हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर याद किया गया पत्रकारिता का इतिहास )
लखनऊ :- 'आल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन' (आईरा) के प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार चाँद फरीदी ने सभी पत्रकारों को हिन्दी पत्रकारिता दिवस की बधाई देते हुए हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास पर कहा कि हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का दिन कुछ खास महत्व है!
वर्ष 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने पहले हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन किया था! उस दौरान अंग्रेज़ी, फ़ारसी और बांग्ला में तो अनेक समाचार पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी समाचार पत्र नहीं निकलता था! इसलिए उदन्त मार्तण्ड ने हिंदी अखबार प्रकाशन शुरू किया था! यह अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था! उदन्त मार्तण्ड के पहले अंक की पांच सौ प्रतियां छपीं,
चाँद फरीदी ने कहा कि पत्रकार शासन व जनता के बीच सेतु का काम करता है! पत्रकारिता जगत में रोज़गार की कोई कमी नहीं है! लेकिन उसके लिए स्वयं को साबित करने की आवश्यकता है!लेखक होना भी गौरव की बात है, पत्रकार बनना चुनौतीपूर्ण है! आज पत्रकारिता में शोध की आवश्यकता है, हालांकि रोज़गार के साथ चुनौतियां कम नहीं हैं! एक अच्छे पत्रकार को टीआरपी से ज़्यादा देश, दुनिया की चिंता करनी चाहिए!
समाचार पत्रों का चलन व व्यवहार बदला है! जब से इलेक्ट्रानिक मीडिया सामने आया ‘समाचार थोड़ी देर बाद दिखाई देता था, लेकिन अब सोशल मीडिया का समय चल रहा है, जिसमें तुरन्त आपको समाचार या सूचना मिल जाती है! लेकिन इस पर कितना विश्वास किया जाये, यह विचारणीय है! आज भी अखबारों की विश्वसनीयता है, उसकी ज़िम्मेदारी है तथा उसकी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है, जबकि सोशल मीडिया पर आप उस तरह विश्वास नहीं कर सकते हैं तथा सोशल मीडिया को ज़िम्मेदार बनना होगा! मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है! अगर एक भी स्तम्भ कमज़ोर हो जायेगा तो लोकतंत्र चलना मुश्किल हो जायेगा!
उदन्त मार्तण्ड का अखबार प्रकाशन ऐसा दौर में शुरू हुआ था जब भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करने का बीड़ा पत्रकारिता ने अपने कंधों पर उठाया था! देश की आज़ादी से लेकर, साधारण आदमी के अधिकारों की लड़ाई तक, हिंदी भाषा की कलम से इंसाफ की लड़ाई लड़ी गई!
