मूत्र कांड – मकान जमींदोज़ की कार्यवाही का चहुंतरफा विरोध, बेघर किए जाने के विरोध में उतरे ज़िले के ब्राम्हण संगठन!
( नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद के द्वारा मकान निर्माण की अनुमति दी जाती थी! ग्राम पंचायतों में रहने वाले ग्रामीणजन बिना किसी अनुमति के ही अपनी भूमियों पर मकान निर्माण करते रहे हैं! )
सीधी (मध्यप्रदेश) :NKB NEWS : - आरोपी प्रवेश शुक्ला द्वारा आदिवासी के साथ जो किया गया है उसकी घोर निंदा की जा रही है, वहीं जिला प्रशासन के द्वारा आरोपी के पैत्रिक मकान पर बुल्डोजर चलाए जाने का जिले भर में चहुंतरफा विरोध हो रहा है और आरोपी के पिता एवं परिवार के साथ ग्रामीणजन एवं ब्राम्हण संगठन खुलकर आ गया है!
जिस मकान को ज़मींदोज़ किया गया है वो आरोपी प्रवेश शुक्ला के नाम पर नहीं है बल्कि उक्त मकान आरोपी के दादी और पिता, चाचा के नाम पर था! हर व्यक्ति यही कह रहा है कि आरोपी प्रवेश शुक्ला ने जो कृत्य किया है उसको कड़ी से कड़ी सजा शासन प्रशासन द्वारा दिया जाए किंतु उसके इस कृत्य में माता-पिता व परिवार जनों को बेघर किया जाना न्याय उचित कदम नहीं था!
आरोपी प्रवेश शुक्ला के द्वारा आदिवासी के ऊपर पेशाब करने की घटना का वीडियो वायरल होने के बाद से ही लोग उसके कृत्यों की तीव्र निंदा कर रहे हैं! आरोपी के विरुद्ध पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई करनें की भी लोग सराहना कर रहे हैं! लेकिन आरोपी के पिता और चाचा जिनका कि इस घटना में कोई हांथ नहीं है फिर भी प्रशासन द्वारा उनके घर पर मनमानी पूर्वक बुल्डोजर चलाकर धराशाई कर दिया गया!
आरोपी के माता-पिता, वृद्ध दादी, पत्नी और तीन साल की मासूम बेटी बेघर हो चुकी हैं! घर का जो हिस्सा बचा हुआ है वह भी पूरी तरह से बुल्डोजर चलने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है जो कभी भी धराशाई हो सकता है! खतरे के बीच आरोपी का पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे शरण लिए हुए हैं!
मीडिया से बात करते हुए परिवार की महिलाओं ने कहा कि आरोपी को शासन द्वारा जो सजा देनी हो, दी जाए! लेकिन उसके बेगुनाह परिवार को क्यों सजा दी जा रही है! आरोपी जेल चला गया और उसका पूरा परिवार बेघर हो चुका है! महिलाओं का कहना था कि घर में कुछ नहीं बचा है!
यहां तक कि तीन साल की बच्ची के खिलौने भी टूट गए हैं! गांव वालों की मदद से ही वह कुछ खाद्य सामग्री पा रहे हैं! छोटी बच्ची को भी लोग नमकीन एवं बिस्किट दे जाते हैं! उनका पूरा परिवार इस घटना के बाद से काफी सदमे में है! एक व्यक्ति के गुनाह की सजा पूरे परिवार को दी गई है! जिसको किसी भी हाल में न्यायोचित नहीं माना जा सकता!
वहीं प्रशासन द्वारा उसके परिवार के साथ की गई ज्यादिती का चहुंतरफा विरोध भी कर रहे हैं! लोगों का कहना है कि आरोपी द्वारा जो कृत्य किया गया है उसकी सजा नियमानुसार प्रशासन दे, लेकिन उसके घर वालों के साथ घर तोडक़र काफी गलत किया गया है! आरोपी का पूरा परिवार काफी शांत है और इनका आपराधिक वारदातों से कभी कोई नाता नहीं रहा है! आरोपी की मां शिक्षिका हैं और पिता समाजसेवी एवं कृषक हैं! जिले के ब्राम्हण समाज संगठन एवं अन्य समाजसेवी आरोपी के परिवारजनों की मदद में जुट गए हैं!
आरोपी के पिता रमाकांत शुक्ला ने मीडिया को बताया कि 5 जुलाई को दोपहर एसडीएम, तहसीलदार सिहावल पुलिस बल के साथ हमारे घर पहुंचे और हमें एक नोटिस दिखाया और बताया कि आपका घर अवैध रूप से बना है जिसे जमींदोज करना है! मैने कहा कि यह घर मेरी मां और मेरे नाम है! इसके बाद भी प्रशासन ने मेरी एक बात नहीं सुनी और न ही मुझे घर से सामान निकालने का अवसर दिया गया! औऱ एनओसी के बहाने मकान ढहा दिया गया है!
आरोपी के पिता रमाकांत शुक्ला ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि 5 जुलाई को जिला प्रशासन द्वारा जो हमें नोटिश दिखाई गई थी उसमें ग्राम पंचायत के द्वारा मकान निर्माण की अनुमति न लिए जाने के कारण मकान निर्माण अवैध करार करते हुए घर गिराया गया! हमें सिर्फ नोटिश दिखाई गई दी नहीं गई! उन्होने बताया कि उक्त नोटिश में 24 घंटे का समय दिया गया था लेकिन नोटिस दिखाने के आधे घंटे बाद ही घर पर बुल्डोजर चला दिया गया! जिला ही नहीं पूरे प्रदेश का यह ऐसा मामला है जिसमें भवन निर्माण की स्वीकृति ग्राम पंचायत से न लिए जाने के कारण पैत्रिक मकान को अवैध करार दे दिया गया और उसे जमींदोज कर दिया गया!
अभी तक नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद के द्वारा मकान निर्माण की अनुमति दी जाती थी! ग्राम पंचायतों में रहने वाले ग्रामीणजन बिना किसी अनुमति के ही अपनी भूमियों पर मकान निर्माण करते रहे हैं! आरोपी के पिता एवं परिवारजन के विरुद्ध कोई पुलिस प्रकरण अभी तक दर्ज नहीं था! वह समाज में काफी प्रतिष्ठित व्यक्ति थे! इस कारण प्रशासन के पास उनका मकान गिराने के लिए कोई ठोस आधार नहीं था इसलिए पंचायत से अनुमति का सहारा लिया गया!!
