शिब्ली डे, उपलब्धि दिवस के रूप में मनाया जाता है! - 18 नवम्बर







शिब्ली कॉलेज और दारुल मुसन्निफीन (जिसका अर्थ ' लेखकों का घर 'होता है)

"आज शिब्ली डे है, अमूमन सभी हस्तियों के पैदाइश के दिन उनका 'डे' मनाया जाता है मगर शिब्ली की सबसे बड़ी उपलब्धि 'शिब्ली एकेडमी' की स्थापना और उनकी मृत्यु दोनों की तारीख 18 नवंबर ही थी! इसीलिए शिब्ली डे उनके जन्मदिन 3 जून के बजाय उपलब्धि दिवस के रूप में मनाया जाता है!

( यूसुफ़ नोमानी लिखते हैं!)

आजमगढ़ से यूं तो महाकवि हरिऔध, महापंडित राहुल सांकृत्यायन जैसी अनेकों हस्तियां थीं, मगर एक नाम जो सबसे ज्यादा लिया जाता रहा है वो है अल्लामा शिब्ली नोमानी का!

आखिर कौन थे शिब्ली नोमानी.? पूरा आजमगढ़ शहर उनका नाम गिनाता जरूर है, मगर उनकी उलब्धियां गिने चुने लोग ही बता पाते हैं!

बहरहाल, शिब्ली नोमानी का जन्म गांव बिंदवल में सन 1857 ई. के एक ऐसे दिन हुआ जब आजादी को पहली लड़ाई देश में शुरू हुई थी और उसी जंग ए आज़ादी के सिलसिले में आजमगढ़ के लोगों ने अंग्रेजों की जिला जेल को तोड़कर बहुत से क़ैदियों को निकाल लिया था! उसी दिन ही काली अंधेरी, तूफ़ानी रात में जब शिब्ली जन्मे तो उनका नाम रखा गया शिब्ली, जिसका मतलब है शेर का बच्चा..! (आगे चलकर नोमानी उनके उस्ताद मौलाना फ़ारूक़ चिरैयाकोटी ने बढ़ा दिया था, ये इमाम अबु हनीफा बिन साबित की तरफ से निसबत थी!)

शिब्ली नोमानी के जद्दे आला शैख करीमुद्दीन गोरखपुर के महकमा ए बंदोबस्त में मुलाज़िम थे! अपनी ज़ाती आमदनी को बढ़ाने के लिए उन्होंने हसमुद्दीनपुर नाम का एक इलाक़ा खरीदा था,जिसमें बारह गांव थे! शिब्ली के दादा आजमगढ़ की कलक्टरी में मुख़तार थे और उनके वालिद शैख़ हबीबुल्लाह आजमगढ़ के चोटी के वकील थे जो कि वकालत के साथ नील और शक्कर बेचने का भी कारोबार करते थे! उनको फ़ारसी ज़बान पर बहुत महारत थी, जिसका शिब्ली ने पूरा फायदा उठाया! उनके वालिद जनाब हबीबुल्लाह के अपनी पहली बीवी से चार बेटे और एक बेटी थी! शिब्ली सबसे बड़े थे उनसे छोटे भाई मोहम्मद इसहाक़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में कामयाब वकील थे, उनसे छोटे मेंहदी हसन ने बीए तक इंग्लैंड में तालीम पाने के बाद वहाँ से बैरिस्ट्री की.. और सबसे छोटे भाई मोहम्मद जुनैद मुंसफी के ओहदे पर फ़ाइज़ होकर आखिर में सब-जज भी हो गए थे!

ये तो था शिब्ली का फैमिली बैकग्राउंड जो सन 1857 के वक़्त भी काफी पढ़ा - लिखा और समृद्ध था! पर शिब्ली ने ऐसा क्या किया, जो शहर के नामी हस्तियों में उनका ओहदा आला हो गया.!

शिब्ली नोमानी गजब की बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे! धर्मशास्त्री, कवि, इतिहासकार, राजनैतिक चिंतक, दर्शनशास्त्री, इस्लामिक स्कॉलर होने के साथ-साथ टर्किश, फारसी, अरबी और उर्दू साहित्य के विद्वान और साहित्यकार थे! थॉमस अर्नोल्ड के साथ की गई तुर्किस्तान, मिस्त्र और सीरिया की यात्राओं पर यात्रा वृतांत भी शिब्ली ने लिखे जब उनकी उम्र 17 साल ही थी! इसके अलावा उन्होंने इस्लाम के अंतिम पैगम्बर मोहम्मद साहब से जुड़ी बेशकीमती काफी जानकारियां जुटाईं और बड़े ग्रंथ लिखे! गल्फ देशों के शिक्षण संस्थानों में शिब्ली का नाम बहुत ही लोकप्रिय है!

शिब्ली ने आजमगढ़ में 1883 में उन्होंने शिब्ली कॉलेज और दारुल मुसन्निफीन (जिसका अर्थ ' लेखकों का घर 'होता है) की स्थापना की, ताकि शहर के लोगों को शहर में ही उच्च स्तरीय शिक्षा मिल सके!

 आज हजारों लोग हर साल इस शानदार कॉलेज से पढ़ कर निकलते हैं! वहीं दारुल मुसन्नीफीन का नाम अब शिब्ली एकेडमी हो गया, जो एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी रह चुकी है और गांधी, नेहरु, समेत देश की हर बड़ी हस्ती अपने संघर्ष के दिनों में शिब्ली एकेडमी में आ के रह चुकी है!!

Popular posts from this blog

मख्दूम अब्दुल हक़ रुदौलवी का 608 वाँ उर्स ए मुबारक संपन्न

भारत की पहली मुस्लिम महिला विधायक बेगम ऐजाज़ रसूल

बर्फ़, कंडोम, आलू भुजिया के साथ अंडरवियर का हुआ आर्डर