लोतन्तत्र रक्षक सेनानी हाजी इकरामुर्रहमान खाँ हुआ देहांत, ज़िला प्रशासन ने दिया राजकीय सम्मान
सीतापुर : NKB NEWS:- ज़िले की मशहूर शख्सियत के मालिक, राजनैतिक, सामाजिक, दीनी व मिल्ली कामों के माहिर तब्लीगी जमात के सक्रिय कार्यकर्ता रहे, लोकतन्त्र रक्षक सेनानी हाजी इकरामुर्रहमान खाँ का आज सुबह करीब नौ बजे 87 बरस की उम्र में निधन हो गया! उनके निधन की खबर पाते ही बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पहुँचे और खिराजे अक़ीदत पेश किया! ज़िला प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार महेन्द्र कुमार समेत कानूनगो, लेखपाल क्षेत्रीय पुलिस सब इंस्पेक्टर ने हाजी इकरामुर्रहमान खाँ के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें तिरंगे झण्डे में लपेट कर सलामी व श्रद्धांजलि दी!
गौर तलब है कि हाजी इकरामुर्रहमान खाँ ने 1958 में कानपुर में मलेरिया विभाग में इंस्पेक्टर पद ग्रहण किया! लेकिन उन्हें नौकरी रास नही आई और वे 1962 में नौकरी छोड़कर सीतापुर वापस आ गए! कानपुर प्रवास के दौरान व लगातार सामाजिक व साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न रहते हुए दीनी कामों को तरजीह देते रहे!
इस दौरान उनके गहरे ताअल्लुकात नदवा कालेज लखनऊ के सरबराह मौलाना अली मियाँ समेत मौलाना यूसुफ, डा0 फरीदी, इल्यास आज़मी, ज़फ़रयाब जीलानी, शफीक़ मिर्जा और आज़म खाँ जैसे लोगों से रहे! 1975 में इमरजेन्सी के समय हुकूमत की मुखालिफत में लोकतन्त्र रक्षक सेनानी की हैसियत से जेल भी गए!
लोकदल में पूर्व गृह उपमन्त्री रामलाल राही के पार्टी बदलने के बाद वह समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे! हाजी इकरामुर्रहमान खाँ सीतापुर में भाजपा के दिग्गज नेता राजेन्द्र कुमार गुप्ता, लोकदल के नेता रामलाल राही, हरगोविन्द वर्मा के काफ़ी नज़दीक रहे। उन्हें शायरी का भी शौक था और रब्त रहमानी के नाम से लिखते थे, लेकिन मुशायरों में शिरकत नहीं करते थे! हाजी इकरामुर्रहमान खाँ जब राजनीतिक या सामाजिक मंच पर भाषण देते थे तो लोग उन्हें गौर से सुनते और ताकते रह जाते थे! मुस्लिम समाज को जागरूक करने में भी उनकी सेवायें उल्लेखनीय रही हैं!
दीनी व मिल्ली हमदर्द होने के नाते हाजी इकरामुर्रहमान खाँ ने अपनी पूरी ज़िन्दगी तब्लीगी जमात के नाम वक़्फ़ कर दी और अन्तिम दिनों अपने कल्याणकारी कामों को जारी रक्खा! 87 बरस की उम्र में भी वह कुछ खास बीमार नहीं थे, चलने फिरने में दुश्वारी के बावजूद मस्जिद पहुँच कर नमाज़ अदा करने में पुख्ता यक़ीन रखते थे! आज सुबह भी फज्र की नमाज में उठे, नित्य क्रिया कलाप सम्पन्न करने के बाद लेट गए तो फिर उनकी यह नींद आखिरी नींद बन गई!!


