"न हो मां-बाप का साया तो बच्चे टूट जाते हैं" बिलग्राम में हुआ कवि सम्मेलन व मुशायरा!




 बिलग्राम (हरदोई) -NKB NEWS- कस्बे के बाल कल्याण विद्यालय में गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन व मुशायरे की महफिल सजाई गई! इस दौरान वहां पहुंचें कवियों और शायरों ने अपने-अपने अंदाज में वतन की आजादी और आज़ादी के दीवानों पर कविता और शेरों-शायरी पेश की!

मोहल्ला मैदानपुरा स्थित बाल कल्याण विद्यालय में हुजूर बिलग्रामी की सरपरस्ती और शिव कुमार बिलग्रामी की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन व मुशायरा हुआ!

रायबरेली के ख़लील फ़रीदी ने अपने अंदाज में पढ़ा 'मुस्कुराहट आते आते लौट जाती है, न हो मां बाप का साया तो बच्चे टूट जाते हैं!'

 असगर बिलग्रामी ने बखूबी संचालन किया! महफिल में शायरी की शुरुआत नश्तर मल्लावीं ने की उन्होंने इस तरह पढ़ा कि शहजारों जान दीं सूली चढे हम भी मगर फिर भी, बताओ तो हमे तुम आज़माओगे भला कब तक‍!

 मल्लावां के डा. रियाज़ बरहक ने सुनाया तअल्लुकात सभी तोड़ दीजिए लेकिन, ये याद रखिए फिर राबता हो सकता है!

 पवन कश्यप ने अपना काव्य पाठ कुछ इस अंदाज में किया कि एक गीत ऐसा भी लिख दो मायी, जिसमें हो खुशबू वतन की समाई, उसके बाद दिल्ली के मशहूर शायर शिवकुमार बिलग्रामी ने कहा कि बात करने का सलीका मैने पाया जिसमें इक वही शख्स मुझे शहर में खामोश मिलाए!

लखनऊ के शायर मोईद रहबर और हरदोई के कवि अजीत शुक्ल भी ने अपना-अपना कलाम पढ़ कर श्रोताओं के दिलों पर छाप छोड़ी! 

असगर बिलग्रामी ने अपनी शायरी से समा बांधा और कहा वो घर बनेगा मिस्ल ए दोजख दोस्तों, राह से बे-राह जिस घर का बड़ा हो जायेगा! देश भक्ति में डूबे हुए शेर पढ़ते हुए हुजूर बिलग्रामी ने कहा कि ऐ तिरंगा तेरी हम शान न जाने देगें, सर तेरा तुझको कभी हम न झुकाने देगें!

 बिलग्राम के नौजवान और उभरते हुए शायर कमर बिलग्रामी ने शेर सुनाया कि सबक वफा का पढ़ाया उनको, सलीका हमने सिखाया जिनको, मिली ज़रा सी जो उनको शोहरत, वो आंखे हम को दिखा रहे हैं!

 सर्दी की रात में भी श्रोता शायरों और कवियों की रचनाओं को सुनने के लिए आधी रात तक डटे रहे!!

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