दिल्ली -एनसीआर की सड़कों पर नहीं दिखेंगे आवारा कुत्ते.? सुप्रीम कोर्ट और पेटा का हुआ आदेश
( कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस काम में बाधा पैदा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त किया जाना चाहिए और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए! )
( 5 लाख आवारा कुत्ते, 37 लाख डॉग बाइट, रेबीज से डेथ के बढ़ते आंकड़े... स्ट्रीट डॉग्स को लेकर समस्या कितनी बड़ी.? )
दिल्ली- NKB NEWS :- एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर समाज दोफाड़ नजर आ रहा है! कोर्ट ने लावारिस कुत्तों की समस्या को बेहद गंभीर बताते हुए राजधानी और एनसीआर की सरकारों को आठ सप्ताह के भीतर शेल्टर होम में कुत्तों को रखने के निर्देश दिए हैं! लेकिन सवाल है कि आखिर कोर्ट को यह कदम क्यों उठाना पड़ा.?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों की समस्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह में शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जहां नसबंदी और टीकाकरण होगा! कुत्तों को सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा!
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने सुनवाई के दौरान इस मुद्दे के खिलाफ कुत्ता प्रेमियों या किसी अन्य पक्ष की याचिकाओं पर विचार करने से भी इनकार कर दिया! पीठ ने कहा, "हम यह अपने लिए नहीं, बल्कि जनहित के लिए कर रहे हैं! इसलिए इसमें किसी भी तरह की भावनाएँ नहीं आनी चाहिए! जल्द से जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए! सभी इलाकों से कुत्तों को उठाकर आश्रय गृहों में पहुँचाया जाना चाहिए! फिलहाल, नियमों को भूल जाइए!
कोर्ट ने 28 जुलाई को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या और इससे जुड़े डॉग बाइट एवं रेबीज से होने वाली मौतों के बढ़ते आंकड़ों पर स्वतः संज्ञान लिया था! अकेले 2024 में देशभर में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट के मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 5.19 लाख से ज्यादा पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे!
आंकड़ों पर गौर करें तो दिल्ली में रेबीज से 54 संदिग्ध मौतें हुईं, जो 2023 की 50 मौतों की तुलना में कहीं अधिक हैं! दिल्ली में हर दिन औसतन 2,000 डॉग बाइट की घटनाएं सामने आ रही हैं!
2024 में जनवरी से जून तक 35,198 पशु काटने की घटनाएं दर्ज की गईं! विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक रेबीज से होने वाली मौतों में से 36 फीसदी भारत में होती है, जो इस समस्या की गंभीरता को बताता है!
