607 वां उर्स "शैख़उल आलम सम्पन्न!
( सिलसिलाए चिश्तीयत की पहचान ग़रीब नवाज़ से तो सिलसिलाए साबरियत की पहचान शैखुल आलम से ) रुदौली :- सर ज़मीन ए हिन्द हमेशा से ही औलिया अल्लाह का मसकन (निवास) रहा है! वैसे तो दुनिया की कोई ऐसी जगह नहीं जहाँ औलिया अल्लाह यानी कि सूफियों का निवास ना रहा हो हर दौर में कोई दौर ऐसा नहीं रहा जब सूफियों से यह धरती खाली रही हो वैसे ही सर ज़मीने हिन्द में बज़ाहिर एक हज़ार वर्ष पूर्व वलियों सूफियों का आवा गमन एवं इस्लाम की तब्लीग़ का सिलसिला शुरू हुआ जिसको परवान चढाया सुलतानुलहिन्द अताए रसूल ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती संजरी अलैहिर्रहमा ने जिनको कि दुनाये अदब और आशिक़ी में ग़रीब नवाज़ के नाम से भी जाना जाता है! यहीं से सिलसिलाए चिश्तियत को उरूज मिला एवं पूरी दुनिया में चिश्तीयत का सिक्का भी चला यूँ तो चिश्ती सिलसिले के बुज़ुर्गो की तारीख़ बहुत पुरानी है! मगर ग़रीब नवाज़ से हिन्दुस्तान ही नहीं दुनियाए सूफियत में चिश्तीयत को जाना और पहचाना गया वैसे तो हिन्दुस्तान में सिलसिलाए सोहरवरदिया, क़ादरिया, नक़्श बंदिया जैसे सिलसिले मौजूद हैँ! बवजूद इसके सिलसिलाए चिश्तियत ने जो उरूज और शोहरत पाई वो कोई और सिलसिला ...